लेखनी कहानी -02-Dec-2021 इंतजार का सुकुन
इंतजार का सुकुन
शाम 7:30 बजे करीब रीमा का फोन बजा ! रीमा अपने काम में व्यस्त थी! जैसे ही फोन उठाया, उधर से आवाज आई-"हेलो मैम गुड इवनिंग!
रीमा को अनजानी आवाज सुनकर हिचकिचाहट हुई, फिर भी संभालती हुई बोली-"गुड इवनिंग और पूछा-कौन बोल रहा है?
उधर से आवाज आई-"हेलो मैम, मैं आदित्य बोल रहा हूं, आदित्य शर्मा मैं बीएससी सेकंड ईयर का स्टूडेंट हूं!
हां बोलो आदित्य क्या काम था? रीमा ने कहा,
कैसे फोन किया"?
उधर से आदित्य ने कहा-"मैम कुछ नहीं बस आपको थैंक यू बोलने के लिए फोन किया था!"
, क्यों मुझे क्यों थैंक यू बोल रहे हो?
आदित्य बोला- मैम बीएससी सेकंड ईयर का रिजल्ट आ गया है ,और मैं पास हो गया आपने प्रैक्टिकल में अच्छे मार्क्स दिए इसलिए आपको थैंक यू बोल रहा हूं!
ओहो! चलो ठीक है!!
इतना कह रीमा ने फोन काटना चाहा पर आदित्य और बातें करना चाहता था, इसलिए उसने रीमा से और भी कई बातें की जैसे तैसे रीमा ने फोन काटा, और अपने काम में व्यस्त हो गई!
रीमा एक प्राइवेट कॉलेज में रसायन शास्त्र विषय में सह प्राध्यापक के रूप में कार्यरत थी!
और आदित्य 25 _26 वर्ष का एक नौकरी पेशा लड़का अपनी जॉब के साथ साथ बीएससी की पढ़ाई भी कर रहा था। जॉब की वजह से कॉलेज कम ही आता था, जब बहुत जरूरी हुआ तब ही कॉलेज आता और अपने काम में वापस चला जाता!
रीमा ने उसकी सूरत शायद कभी देखी होगी पर याद नहीं की कौन है यह आदित्य शर्मा?
इतना जानती थी कि कोई जॉब वाला लड़का है कॉलेज कम आता है पर रीमा ऐसे बच्चों के लिए चिंतित जरूर रहती थी पता नहीं कैसे मैनेज करते हैं यह अपनी पढ़ाई और जॉब को,? पर रीमा के पास इसका कोई जवाब ना होता और उसके विचारों पर हमेशा प्रश्नचिन्ह खड़ा रहता!
सेमेस्टर ब्रेक के बाद फाइनल ईयर की क्लासेस चालू हुई!
रीमा हमेशा की तरह अपने स्टूडेंट्स और क्लासेस में व्यस्त रहती पर इस बार वह महशूस कर रही थी की जो आदित्य पिछले दो साल में नजर नहीं आया वह अब ज्यादा दिखाईं देने लगा था !
आदित्य किसी ना किसी बात को लेकर रीमा से बातें करता रीमा से बात करके बढ़ा खुश होता , रीमा अपने सभी स्टूडेंट्स से मित्रवत बातें किया करती थी, उनकी सभी समस्या को सुनती और हल बताती ।इसलिए रीमा की बाकी आध्यापको से अलग पहचान बन गई थी !
आदित्य अक्सर दोस्तो से रीमा माम की बातें करता और मन ही मन खुश होता जिस दिन कॉलेज नहीं आता उस दिन किसी बहाने से रीमा को फोन करता !
इसी तरह समय निकलता रहा ,आदित्य का रीमा के प्रति झुकाव बढ़ता गया ।पर रीमा इस सबसे अनजान थी वह सहज भाव से सभी की तरह आदित्य से भी बातें करती और अपने काम में व्यस्त हो जाती ।
फाइनल इयर के परीक्षा होने का समय आ गया था आदित्य को लगा अब शायद कालेज आना कम होगा ।
रीमा एक दिन अपने वाट्सएप पर मेसेज देख रही थी उसमें एक मेसेज आदित्य का भी था रीमा ने आदित्य का मेसेज पड़ा उसके मेसेज से रीमा के होश उड़ गए !
रीमा बार बार मेसेज पढ़ती पर विश्वास नहीं होता कि ये लड़का ऐसे कैसे हो सकता है ?
आदित्य ने मेसेज में लिखा "मैं आज आप से को कहना चाहता हूं,, उसे प्लीज़ आप गलत मत समझना मेरी आपके लिए एक अलग ही फिलिग है," मैं आपको बहुत पसंद करता हूं आपको देखना आपसे बात करना अच्छा लगता है,!
और क्या क्या बताऊं बस यही की मैं हमेशा आपके साथ रहना चाहता हूं, लेकिन आपकी मर्जी से ही हम आग बढ़ेंगे अगर आप मेरा साथ देंगे तो मुझे मेरा प्यार मिल जाएगा""!
इन शब्दों ने रीमा को हिलाकर रख दिया इसके लिए वह कहीं ना कहीं अपने आप को ही ज़िम्मेदार समझ रही थी क्यों ,,वह इस आदित्य से इतनी घुल मिल कर बाते किया करती थी !
ये आजकल के लड़के होते ही है ऐसे ,लेकिन उसे तो समझना चाहिए !
इस तरह रीमा अपने अंत हीन विचारो में उलझी रही ।जैसे तैसे अपने को सभल कर उठी।
।वक्त आगे चलने लगा रीमा ने आदित्य के किसी भी मेसेज का कोई उत्तर नहीं दिया !
बहुत दिन बाद आदित्य का एक और मेसेज आया -"" आपको जो भी कहना है कहिए पर प्लीज़,! मेरे मेसेज का रिप्लाई कीजिए ,"मैं आज तक आपके मेसेज का इंतजार कर रहा हूं !
रीमा ने मेसेज पढ़कर कुछ सोचा और आदित्य को फोन किया !
रीमा ने पहले तो उसे समझाना चाहा और कहा-" आदित्य तुम ऐसे कैसे सोच सकते हो?
" तुम्हे पता है मेरा परिवार है, दो बच्चे है और मैं तुमसे कितनी बढ़ी हूं ।तुम्हारी इसी सोच ठीक नहीं ये सब गलत है !"
"मुझे नहीं पता था तुम्हारे दिमाग में ये सब चल रहा है वरना मै कभी तुमसे बात नहीं करती !"
आदित्य चुपचाप सब सुन रहा था बिना किसी बहस के
रीमा को गुस्सा आया फिर बोली "" मुझे जो कहना था मैंने कह दिया अब आज के बाद तुम मुझे कोई मेसेज और फोन नहीं करोगे !"
रीमा फोन रखने वाली ही थी कि आदित्य ने कहा-" आपका परिवार है! बच्चे है, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता आप जैसे ही वैसे ही रहिए..." बस मुझे आपसे आपका थोड़ा सा वक्त चाहिए और कुछ नहीं"!
रीमा ने कहा -"" वक्त चाहिए मतलब !"" तुम एक बात कान खोल कर सुन लो मैं जैसी हूं हमेशा वैसी ही रहूंगी "!
"इसलिए तुम अपने आप को देखो और अपना भविष्य बनाओ "। ये बोल कर रीमा ने फोन रख दिया"!
आदित्य रीमा की बातो से जरा भी विचलित नहीं हुआ शायद उसे रीमा से यही आशा थी ।और आदित्य ने इंतजार करना ही ठीक समझा ।दोनों अपने अपने जॉब में व्यस्त हो गए ।
लेकिन आदित्य एक बहुत बढ़ी ख्वाहिश को पाल कर बैठा था उसने अपनी ख्वाहिशों को कभी कम नहीं होने दिया!उसे विश्वास था कि एक ना एक दिन रीेमा उसकी भावना को समझेगी! जब भी समय मिलता किसी भी तरीके से रीमा की खबर लेता रहता इसी तरह २ साल बीत गए ।
आदित्य किसी काम से आज फिर कॉलेज आया काम ख़तम कर सोचा रीमा मेम को देख लूं कॉलेज आया हूं तो ।
रीमा को पूछता हुआ आदित्य सीधे लेब में पहुंचा ।
जंहा रीमा हमेशा की तरह अपने स्टूडेंट्स में व्यस्त थी ।आदित्य को देखकर उसे आश्चर्य हुआ पर अपने आपको संभाल कर आदित्य को देखा और बोली-" कैसे आना हुआ कोई काम था ?"और सामान्य होने का नाटक कर एक तरफ़ कुर्सी पर बैठ गई ।
आदित्य ने मुस्कुरा कर रीमा को देखा और बोला"- कुछ नहीं बस काम से कॉलेज आया था सोचा आपको मिल लूं । "
रीमा ने हल्की सी मुस्कान दी और जाने के लिए खड़ी हो गई।आदित्य भी चला गया ।
घर आकर रीमा को लगा कितना बदल चुका है आदित्य खामोश , गंभीर और चेहरे पर अजब सा सुकून और एक अनजाना विश्वास झलक रहा था ।
रीमा बार बार यही सोच रही थी कितना वक्त गुजर गया पर इस लड़के को समझ नहीं आया ।कितना भी इंतजार कर के कुछ नहीं होने वाला, इसी उलझन में रात निकाल गई ।
सुबह फिर कॉलेज के लिए तैयार हो कर निकली और सोचती रहीं फिर एक बार आदित्य को मिलकर समझने का सोच कर फोन लगाया और मिलने को कहा ।
आदित्य को आशा थी शायद रीमा को कुछ एहसास हुआ हो इसलिए मिलना चाहती है ।
समय तय कर जब रीमा मिलने पहुंची तो देखा आदित्य पहले ही आ गया था ।
।कॉफी ओडर कर आदित्य ने पूछा-" कैसी हो आप ?
रीमा ने कहा "-मै जैसी थी वैसी ही हूं!"
आदित्य मुस्कुरा दिया ,और बोला" अच्छा है बोलिए क्यों मिलना था मुझसे ?
रीमा ने बोलना शुरू किया _" तुम ने अभी तक शादी क्यों नहीं की ?"
"आदित्य तुम अच्छी खासी नौकरी करते हो शादी करो लाइफ में आगे बढ़ो ।
अपने मां पापा की जिम्मदारियां उठना सीखो ।कब तक यों अकेले रहोगे ।
"क्यों अपने आपको परेशान कर रहे हो तुम्हे ये समझ क्यों नहीं आता कि कुछ बदलने वाला नहीं है!"
" अगर ऐसे ही रहे तो अकेले रह जाओगे समय निकलता चला जाएगा ।"
इतना कह रीमा शांत हो गई और एक अजीब सी खामोशी छा गई ।
थोड़ी देर बाद आदित्य अपनी जगह से उठा और मुस्कुरा कर बोला "-मेरी ज़िंदगी में शामिल न सही, पर मेरी जिंदगी बने रहना,। मिल जाओ तुम ये मुमकिन नहीं, पर मेरी रूह में बसे रहना। "
"तुम्हें पाना और खोना किस्मत की बात है पर तुम्हें चाहते रहना मेरे हाथ में है और जो मेरे हाथ में है उसे मै कैसे छोड़ सकता हूं।"
रीमा आदित्य का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखती रही ।उसे लगा मेरी कोशिश बेकार गई उसे यकीन था कि आदित्य अपनी जिद छोड़ देगा पर ये हुआ नहीं ।
आदित्य बाहर निकला और चल दिया ।रीमा ने भी अपने आप को समेटा और बाहर निकल आई ।
दोनों दो किनारों की तरह एक ही रास्ते चल रहे थे पर अपने अपने कदमों और निश्चय के साथ ,बीच में थी तो केवल मर्यादा की लकीर और इंतजार का सुकून !
स्वरचित, मौलिक
कीर्ति चौरसिया जबलपुर मध्यप्रदेश
Tarun Kumar Srivastava
15-Jan-2022 03:51 PM
अच्छा लिखा है
Reply
Seema Priyadarshini sahay
03-Dec-2021 01:44 AM
नाइस स्टोरी
Reply
🤫
03-Dec-2021 12:56 AM
बेहतरीन... प्रेम का सही अर्थ दर्शाती रचना...
Reply